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जब मन का रेडियो बजता है, गीत लिख लेती हूँ -- सीमा निरंकारी

          इंसान जब किसी चीज को दिल से अपनाता है तो उसे अपनी ज़िन्दगी बना लेता है और उसी के सहारे अपनी जीवन का सफल अध्याय लिखने की कोशिश करता है।
             कुछ इसी तरह से युवा गीतकार सीमा निरंकारी ने संगीत को अपनी ज़िन्दगी का अहम् हिस्सा बना लिया है।
 देखा जाए तो आज भी हमारे समाज में यदि स्त्री जाति स्वतंत्र रूप से कोई फैसला करती है तो उस पर पारिवारिक और सामाजिक दबाव बनता ही है और यह बात सीमा पर भी लागू हुआ फिर भी वह हार नहीं मानी और अपने दृढ़ निश्चय पर अडिग रही अंततः परिवार ने उनके निर्णय को स्वीकार किया । 2006 में अपने पिता की आज्ञा पाकर बड़े भाई के साथ मुम्बई आ गई संगीत की दुनिया में किस्मत आजमाने ।
हाँ यहाँ पर सीमा मानती है कि जब उसने संगीत को अपना करियर चुना तो माँ ने उनके निर्णय का सम्मान करते हुए भावनात्मक रूप से बहुत सपोर्ट किया।
    सीमा की ज़िन्दगी के ख़ास पहलुओं पर पूछने पर वह खुले दिल से अपने बारे में बतायी कि मेरा जन्म सूरत ( गुजरात) में हुआ । हम दो भाई और दो बहन हैं,  पापा जॉब करते थे। प्राइमरी स्टडी वहीँ शुरू थी एक दिन बड़े भाई ने अहम् फैसला लिया कि अब हमारा परिवार बेहतर संस्कार के लिए अपने पैतृक गाँव उत्तर प्रदेश के गाजीपुर जिले के अंतर्गत बलूँआ वापस जाकर पारंपरिक जीवन व्यतीत करेगा। पापा नौकरी पूरी करने हेतु सूरत में रुक गए और हम अपने गाँव चले आये और आगे की पढ़ाई शुरू कर दिए। लेकिन शहरी जीवन गुजारने के बाद अचानक गाँव के वातावरण में अपने आपको ढाल पाना मेरे लिए मुश्किल हो गया था इसलिए मैं अपने आप को अकेला महसूस करने लगी थी। मेरे अकेलेपन को पहचानकर भैया ने एक दिन मुझे रेडियो गिफ्ट किया। फिर तो दिन रात रेडियो सुनते सुनते मैं संगीत की दीवानी हो गयी साथ ही गीतों के बोल को गौर करने लगी और उन रचनाओं को लिखने भी लगी।
कलम के साथ दिल ने भी साथ दिया जिससे गीत, ग़ज़ल, शायरी, कवितायेँ और कहानी लिखना मेरी आदत में शामिल हो गया।
          मुम्बई पहुँचने के बाद मैं कई संगीतकारों से मिली म्यूजिक कंपनी गयी । गायक संगीतकार रामशंकर जी ने मेरे लिखे गीतों को समझा और उन्होंने अपने कुछ अलबम में गीत लिखने का मौका दिए।मेरे पसंदीदा गायक उदित नारायण जी ने भी हौसला बढ़ाया और उन्होंने सीख भी दिया।  सीमा निरंकारी बहुत ही फ्रेंडली स्वभाव होने के साथ धार्मिक व आध्यात्मिक विचार की हैं वह गलत बात बिलकुल बर्दाश्त नहीं करती और अपने काम से मतलब रखती हैं। उन्हें गीतकार की लिस्ट में आनंद बक्शी और इरशाद कामिल की रचनाएँ बेहद पसंद है।
        सीमा का रोमांटिक गीत पर अच्छी पकड़ है। फ़िलहाल वह आयुषी फिल्म्स कॉरपोरशन हाउस की राजेश पाण्डेय निर्देशित दो हिंदी फ़िल्म " मेरी वाइफ की पर्सनल लाइफ" और " जयपुर में शादी और उदयपुर में तलाक़ " के लिए गीत लिखी हैं। सीमा का परिवार निरंकारी बाबा हरदेव जी महराज के अनुयायी हैं इसीलिए उन्होंने अपने नाम के साथ निरंकारी जोड़ा है। सीमा बाबाजी पर पूर्ण विश्वास करती हैं अपना करियर उन्हें सौंप दिया है और बॉलीवुड से जितना भी यश प्राप्त होगा उसे वह बाबाजी का प्रसाद समझकर ख़ुशी ख़ुशी ग्रहण कर लेंगी।
 
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संतोष साहू